अगर हैं जांबाज वर्दीधारी और ईमानदारी की थानेदारी
तो क्यों नही रुक रहा अपराध ?
पुलिस क्यों कर रही लापरवाही ?

खाईबाज रायपुर,नागपुर,पूना, गोवा सहित कुरई के रिसोर्ट में बैठकर चला रहे सट्टा लाइन

सिवनी सहित खवासा के चर्चित नामचीन खिलवा रहे सट्टा

कोतवाली,छपारा,कुरई पुलिस क्यों नही कर रही कार्यवाही ?

सैया भये कोतवाल तो फिर डर काहे का की तर्ज पर सिवनी जिले की पुलिस काम कर रही है ,जिसमें मुख्य रूप से कुरई ,सिवनी और छपारा थाना के चर्चे तो अब चौक चौराहो में होने लगे हैं, पहले अपराधियों पर पुलिस का खौफ हुआ करता था पर अब कुछ वर्दीधारी अपराधी के गले में हाथ डालकर अपनी जेब गर्म कर रहे है , अपराधियों में पुलिस का खौफ खत्म हो चुका है, बेखोफ होकर अपराधी असामाजिक गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं ,अपराध कर रहे हैं और पुलिस तमाशबिन बने तमाशा देख रही है,पुलिस छोटे-छोटे मामलों में प्रेस नोट जारी कर अपनी पीठ खुद थपथपाती है कुछ दिन सफेद पाउडर ,जुआ और सट्टे को पकड़ने की बात कहती हुई ,वाहन की चालानी कार्यवाही करते हुए पूरे मामले को इतिश्री कर देती है, पर ना ही सिवनी जिले में सफेद पाउडर का काम रुका है ,ना क्रिकेट सट्टा पर रोक लगी है, क्रिकेट सट्टा के खाईबाज दूसरे शहरों में बैठकर सिवनी जिले में करोड़ों का सट्टा खिला रहे हैं और पुलिस रस्मअदायगी करने 5000 की जपती बनाकर सट्टा खेलने वाले को पकड़कर प्रेस नोट जारी कर शाबाशी लूटने की कोशिश कर रही है ,पुलिस के अपराध को रोकने में नाकाम होने की मुख्य वजह कुछ ऐसे खाकीधारी है जो बरसों से एक ही थाने और मुख्यालय में जमे हुए हैं ये मुख्यालय छोड़कर जाना ही नहीं चाहते हैं,जिसके चलते कुछ अपराध करने वालों से ऐसे हाथ मिलाये हुए हैं की महीना बंदी कर भाई बंदी निभा रहे हैं ,पर नुकसान सिवनी नगर सहित जिले का हो रहा है ,जिसकी प्रमुख वजह कुछ बेईमान खाकीधारी हैं जो थाने में अंगद की तरह पैर जमा कर बैठे हैं और चांदी काट रहे हैं जिसके चलते अपराधियों की शय बढ़ी हुई है और पुलिस का नाम खराब हो रहा है, तभी तो सिवनी के खाईबाज रायपुर, नागपुर, पुणे ,गोवा और कुरई खवासा के रिसॉर्ट में बैठकर क्रिकेट सट्टा लाइन चला रहे हैं ,ना ही कोतवाली पुलिस इस मामले में कार्यवाही कर पा रही है, ना कुरई पुलिस और ना ही छपारा पुलिस, जबकि रिसोर्ट में कितने काले कारनामे हो रहे हैं यह कुरई पुलिस बेहतर जानती है, छपारा में दर्जनों सट्टा पट्टी की दुकानदारी जम चुकी है, जुआ और क्रिकेट खाईबाजों का जमावड़ा है पर कार्यवाही के नाम पर छपारा पुलिस के हाथ खाली है।

रायपुर ,नागपुर, पुणे, गोवा और कर्माझिरी के रिसोर्ट में बैठकर चला रहे क्रिकेट सट्टा

सूत्रों की माने तो सिवनी के खाईबाज सौरभ प्रेमचंदानी और सागर सुराना ने रायपुर में फ्लैट खरीदकर वहां से क्रिकेट सट्टा लाइन चला रहे हैं ,कुछ दिन पूर्व ही रायपुर पुलिस ने सौरभ प्रेमचंदानी सहित सिवनी का एक और खाईबाज पर कार्यवाही कर करोड़ों का सट्टा व्यापार पकड़ा था, वहीं कुछ महीनो पूर्व पुणे में करोड़ों रुपए की क्रिकेट सट्टा रेड डाली गई थी जिसमें अक्षय तिवारी का नाम सामने आया था अक्षय तिवारी भी सिवनी का रहने वाला है और बताया जाता है कि अक्षय तिवारी का भाई राजनीति से ताल्लुक रखता है सूत्रों की माने तो अक्षय तिवारी के भाई का काम हिसाब किताब रखने का बताया जा रहा है,वहीं मिक्की अग्रवाल जिसकी सिवनी और नागपुर में टाइल्स की दुकान है जो क्रिकेट शुरू होते ही क्रिकेट सट्टा खिलाने के लिए नागपुर की टाइल्स दुकान में बैठना शुरू कर देता है जहां से सिवनी में लाइन देकर काम करता है,सिवनी में कपड़ा दुकान चलाने वाला टार्जन भी क्रिकेट सट्टा खाईबाज है जो अभी भी उपरोक्त खाईबाजों के साथ कनेक्टिविटी में खेल खिला रहा है, सूत्रों की माने तो कुरई खवासा के कर्माझिरी में स्थित रिसोर्ट में बैठकर कई खाईबाज क्रिकेट सट्टा के अवैध व्यापार को चलाते हैं और बताया जाता है कि इन खाईबाजों को कुरई खवासा के नामचीन लोगों का संरक्षण भी मिलता है, जिन लोगों का सहयोग इन सट्टा बाजार से जुड़े लोगों को मिल रहा है, कुरई, खवासा के जो लोग रिसोर्ट में सट्टा के व्यापार को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से अंजाम दे रहे हैं ऐसे लोगों को पुलिस बेहतर जानती है पर पुलिस की नाकामी कहीं जाए या महीना बंदी में भाई बंदी का रिश्ता निभाना की बेखोफ होकर सट्टा व्यापार चल रहा है और कुरई पुलिस तमाशबिन बनी हुई है।

छपारा पुलिस की पोलिसिंग पर उठ रहे सवाल ,पुलिस मजबूर या कुछ और बात है ?

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार छपारा थाने के थानेदार अपने आपको सिंघम से कम नहीं समझते हैं पर उनकी थानेदारी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की छपारा नगर में खुलेआम क्रिकेट सट्टा और सट्टा पट्टी का कारोबार जोरों पर चल रहा है और पुलिस कार्यवाही करने के नाम पर तमाशबीन बन तमाशा देख रही है बताया जाता है कि थाने की बाउंड्री वॉल से लगकर एक सट्टा व्यापारी सट्टा पट्टी लिख रहा है पर मजाल है कि पुलिस उस पर कार्यवाही कर दे, सूत्र बताते है छपारा में एक मेडिकल दुकान का संचालक जो कट्टर कांग्रेसी बताया जाता है जिसका एक रिश्तेदार भोपाल के एक बड़े नेता की सेवा करता है उसने छपारा थाने में फोन लगवाया और अब बेखौफ होकर दवा दुकान संचालक अपनी दवाई दुकान से क्रिकेट सट्टा का संचालन कर रहा है पर पुलिस किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं कर पा रही है, वहीं बंडोल बखारी का सट्टा खाईबाज जिसका नाम शोएब बताया जा रहा है जो पहले बंडोल थाने में अपनी बोलेरो गाड़ी लगाकर गाड़ियां चलवा रहा था और उस वक्त भी बंडोल बखारी में सट्टा पट्टी लिखने का काम करता था, अब उसने पुलिस के साथ मधुर संबंध बनाते हुए छपारा के भीमगढ़ रोड पर सट्टा पट्टी लिखकर खाईबाजी का खेल खिलवा रहा है ,क्या पुलिस के मुखबिर इतने कमजोर हो गए हैं कि छोटे से छपारा नगर के अंदर क्रिकेट और सट्टा पट्टी खाईबाजों की धमा चौकड़ी चल रही है और पुलिस को खबर नहीं है ? या फिर थाने का कोई बेईमान खाकिधारी इन लोगों के साथ मिला हुआ है ? क्या छपारा थाने के थानेदार जो अपने आपको सिंघम से कम नहीं समझते इन खाईबाजों पर कार्यवाही करते हुए अपनी पुलिसिंग का लोहा मनवाएंगे या इसी तरह खाईबाज चांदी काटेंगे और कमजोर पुलिसिंग के चलते खाकी पर दाग लगता रहेगा ?

कुछ ऐसे भी हैं वर्दीधारी जो टाइल्स के बदले बेचे हैं अपनी ईमानदारी

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कोतवाली में ऐसे खाकीधारी भी पदस्थ हैं जो दशकों से एक ही मुख्यालय में जमे हैं और मुख्यालय छोड़ना नहीं चाहते हैं, अगर पड़ोस के किसी थाने में इनका स्थानांतरण हो जाए तो यह घर परिवार में बीमारी का बहाना बनाते हुए अपने आपको नगर के अंदर स्थित थानों मे व्यवस्थित करने जुगत में लग जाते हैं ,लंबे समय से नगर में रहने के कारण इनके संबंध शरीफ लोगों के साथ-साथ बदमाशों से भी मधुर बने हुए हैं ,सूत्र बताते है की एक वर्दीधारी तो ऐसा है जो टाइल्स के बदले अपनी ईमानदारी बेचा है ,सूत्रों के अनुसार इस वर्दीधारी को नए-नए मकान बनाने का बहुत शौक है, नगर से बाहर कहीं फार्म हाउस तो कहीं मकान बनाया है,सूत्र बताते हैं कि नए मकान में लगी टाइल्स क्रिकेट सट्टा खाईबाज की मेहरबानी से लगाई गई है,इस वर्दीधारी के बारे में बताया जाता है कि दूसरे थानों में अगर इसका स्थानान्तरण हो जाये तो जाने से परहेज करता है,और जुगाड़ लगाकर स्थानांतरण रुकवा लेता है, बताया जाता है कि वर्तमान में इस वर्दीधारी के कारण थाने के अंदर विवाद की स्थिति भी बनी हुई है, परंतु थाने के थानेदार की ऐसी कौन सी नस इस अदने से वर्दीधारी ने दबा दी है कि इस वर्दीधारी को थाने से हटाने में थानेदार के हाथ पैर फूल रहे हैं,बताया जाता है कि इस वर्दीधारी की विवादित कार्यप्रणाली की चर्चा ईश्वर और अल्लाह की इबादत करने जानें वालों के मुंह से चौक चौराहों में सुनी जा सकती हैं ।

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