क्या आदिवासी होना पाप है ?

असल गुनाहगार, धनेंद्र को बचाने वाले माईबाप है

कहीं आदिवासी होने की सजा तो नहीं मिली संदीप को ?

ग्रामीणों को देख लड़ाईया जैसे भागा धनेंद्र

ऐसा लगता है शिवराज सरकार ने आदिवासियों की शव यात्रा निकालने का पूरा इंतजाम अपने दो कौड़ी के नेताओं को दे है, एक ओर शिवराज सिंह चौहान आदिवासियों के हित के लिए बड़ी-बड़ी बाते करते हैं, वहीं दूसरी ओर भाजपा पार्टी के दो कौड़ी के नेता आदिवासियों के ऊपर अत्याचार कर रहे है और भाजपा नेताओं के मुह में दही जमा हुआ है , वाकई भाजपा आदिवासियों की हितेषी है उनका शोषण बर्दाश्त नहीं करती है ,तो धनेंद्र राहंगडाले के खिलाफ भाजपा को मोर्चा खोलना चाहिए, अगर धनेंद्र भाजपा का नेता है तो उसे पद से हटाना चाहिए और अगर भाजपा का नेता नहीं है तो भाजपा को विज्ञप्ति जारी कर बताना चाहिए कि धनेंद्र भाजपा का नेता नहीं है क्योंकि अब सत्ता और सरकार का नशा छूटभैया नेताओं के सर चढ़कर बोलने लगा है अब तो दरीफट्टी उठाने वाले नेता भी अपने आप को दबंग भाजपा नेता बताकर सरेआम गुंडागर्दी करते नजर आ रहे हैं, बताया जाता है कि बरघाट क्षेत्र में पोनिया गांव के पूर्व सरपंच धनेंद्र राहंगडाले की गुंडागर्दी इस कदर बढ़ी हुई है कि जिस आदिवासी लड़के के पिता नही है उसका सरेआम गाली गलौज करते हुए जातिसूचक, अपमानजनक शब्द बोलकर हाथ तोड़ दिया, बताया जाता है कि धनेंद्र के द्वारा जातिसूचक अमर्यादित शब्दों का प्रयोग करते हुए परिवार सहित जान से मारने की धमकी भी दी गई,वायरल वीडियो और फ़ोटो को देख कर ही पता चलता है कि धनेंद्र ने कितनी बेरहमी से संदीप का मार-मार कर बुरा हाल कर दिया, उसके बदन पर बड़े-बड़े लाल घाव और टूटा हुआ हाथ यह गवाही दे रहा है कि धनेंद्र ने राक्षस की तरह उसे मारा है प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि लड़के को इतना मारा कि वह अधमरा हो गया था।

क्या है मामला

बरघाट ब्लॉक के ग्राम पोनिया के आदिवासी युवक संदीप उईके स्वर्गीय-पिता नरेश उईके की सिर्फ इतनी सी गलती हुई की संदीप के जानवर अपने आपको दबंग कहने वाले धनेंद्र के खेत में चले गए और जनवरों ने खार को नुकसान पहुंचा दिया इस बात से क्रोधित होकर पूर्व सरपंच भाजपा नेता ने संदीप को पंचायत भवन बुलाकर बीच मैदान में आपत्तिजनक शब्द और जाति सूचक शब्द का इस्तेमाल करते हुए राक्षसों की तरह इतना मारा कि पहले एक हाथ तोड़ दिया ,उसके बाद संदीप को जमीन पर लेटा कर अधमरा होते तक मारा, जिससे पूरा शरीर लाल हो गया । प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया की अगर कुछ लोग संदीप को नहीं बचाते तो धनेंद्र संदीप को वही मार डालता,

दबंग धनेंद्र गांव वालों को देख लंडईया की भांति दुम दबाकर भागा

जब इस घटना की जानकारी गांव वालो को लगी तो संदीप का परिवार और गांव वालो ने धनेंद्र के घर का घेराव किया ,गांव वालों से काफी देर बहस करने हुए अपनी नेतागिरी भी धनेंद्र ने दिखाया,कुछ लोगो को फोन लगाकर ग्रामीणों पर दबाव बनाने की कोशिस भी किया ,लेकिन बाद में जब गांव वाले आक्रोशित होने लगे तो राक्षसों की तरह एक अबोध बालक को मारने वाला धनेन्द्र लंडईयाके माफिक दुम दबाकर भाग गया ।

आदतन अपराधी है धनेंद्र और उसका भाई

ग्राम के लोगों के द्वारा बताया गया की धनेंद्र राहंगडाले/पिता कोमल राहंगडाले और उसका भाई संजू संजय राहंगडाले ये दोनों भाई आदतन अपराधी है ,पूर्व में भी इनके द्वारा गांव में बहुत मारपीट व लड़ाई झगड़े किए गए हैं जिसके मामले बरघाट थाने में दर्ज हैं और कई लोगों ने तो इनके डर के कारण थाने में रिपोर्ट नहीं लिखवाई क्योंकि धनेंद्र राहंगडाले और संजू संजय राहंगडाले दोनों भाई बीजेपी के ग्राम और क्षेत्र के सर्वे सर्वा नेता अपने आपको बताते हैं और भाजपा के छुटभैया नेता होने का बड़ा फायदा यह लोग लगातार उठा रहे हैं अब देखना है ग्राम के लोगों के द्वारा बताया गया की धनेंद्र राहंगडाले/पिता कोमल राहंगडाले और उसका भाई संजू संजय राहंगडाले ये दोनों भाई आदतन अपराधी है ,पूर्व में भी इनके द्वारा गांव में बहुत मारपीट व लड़ाई झगड़े किए गए हैं जिसके मामले बरघाट थाने में दर्ज हैं और कई लोगों ने तो इनके डर के कारण थाने में रिपोर्ट नहीं लिखवाई क्योंकि धनेंद्र राहंगडाले और संजू संजय राहंगडाले दोनों भाई बीजेपी के ग्राम और क्षेत्र के सर्वे सर्वा नेता अपने आपको बताते हैं और भाजपा के छुटभैया नेता होने का बड़ा फायदा यह लोग लगातार उठा रहे हैं अब देखना है पुलिस प्रशासन इस आदतन अपराधी ,और अपने आपको दबंग नेता कहने वाला और मौका पड़ने पर लंडईया जैसे भागने वाले पर क्या कार्यवाही करता है? या फिर पुनः गरीब शोषित आदिवासी युवा और उसका परिवार न्याय के लिए दर-दर भटकता रहेगा प्रशासन इस आदतन अपराधी ,और अपने आपको दबंग नेता कहने वाला और मौका पड़ने पर लंडईया जैसे भागने वाले पर क्या कार्यवाही करता है? या फिर पुनः गरीब शोषित आदिवासी युवा और उसका परिवार न्याय के लिए दर-दर भटकता रहेगा

संदीप आदिवासी होने का दंश झेल रहा है या जानवर के द्वारा नुकसान करने का?

भाजपा नेता अपने रसूख और अपने पद का दुरुपयोग कर पूर्व में भी कुरई क्षेत्र में आदिवासी युवाओं की हत्या और अब सरेआम हाथ पैर तोड़ते तक, अधमरा- शरीर सुजाते तक मारना ,आखिर कहां तक सही? इस पूरी घटना से आदिवासी समाज एवं अन्य समाज में भी रोष व्याप्त है और सभी ने कड़ी से कड़ी कार्रवाई के लिए प्रशासन से निवेदन किया है! पर सवाल यह पैदा होता है की महज जानवर के द्वारा जरा सी नुकसानी करने पर जल्लादों की तरह इतना मारना यह बात हजम नहीं होती कहीं ऐसा तो नहीं एक ओर भाजपा आदिवासियों के हितों के लिए बड़ी-बड़ी बातें करती है वहीं दूसरी ओर भाजपा के नेता अपने रसूख और अपने माई बाप के नाम के सहारे आदिवासियों को गेंद गेंद कर मार रहे हैं, कहीं संदीप को आदिवासी होने की सजा तो नहीं मिल रही है ?या फिर वाकई जानवर के द्वारा नुकसानी करने पर उसे सजा दी गई है तो सजा देने का काम कानून का है, धनेंद्र को क्या भाजपा के नेताओं ने दंड नायक नियुक्त कर रखा है? या फिर ऐसी छूट दी गई है कि आदिवासियों को मरते तक मारो और उसके बाद सत्ता सरकार के नुमाइंदे ऐसे जल्लादों को बचा कर ले आएं और अच्छे पद से नवाजे, बहरहाल मामला थाने तक जा चुका है अब देखना यह है पुलिस विभाग आदिवासी युवक की सुनती है या धनेंद्र के माई बाप लोगों की?

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