राहुल दवे/इंदौर: मासूमों के सिर से माता-पिता का साया उठ गया. इसके बाद अब न तो उनके पास घर बचा और न ही जीवन यापन करने के लिए कोई सहारा. लेकिन पढ़-लिखकर अधिकारी बनाने का हौसले उनमें आज भी है. इसी हौसले को देख इंदौर कलेक्टर ने तुरंत बच्चों को रहने के लिए हॉस्टल, शिक्षा के साथ हर माह पांच हजार रुपये की मदद का निर्णय लिया.
दरअसल, जनसुनवाई के दौरान इंदौर डीएम के सामने अपने 9 साल के मासूम भाई को साथ लेकर गुहार लगाने 13 वर्षीय बालिका कोमल पहुंची. उसने बताया कि पिता की कोरोना से मौत हो गई और पिछले दिनों मां भी कैंसर से पीड़ित होकर दुनिया से चली गई. वे दोनों अब अकेले हैं. अपनी बेबसी की दास्तां, जब बालिका ने डीएम इलैया राजा टी को जनसुनवाई के दौरान बताई तो वह अफसोस में पड़ गए.
DM ने दीं इतनी सुविधाएं
बहन ने बताया कि उनके पास न रहने को छत है और न जिंदगी जीने का कोई सहारा. वह और उसका भाई पढ़ लिखकर आपकी तरह अफसर बनना चाहते हैं. 13 वर्षीय कोमल और उसके 9 वर्षीय भाई अंश की कहानी सुन कलेक्टर ने दोनों बच्चों की हॉस्टल में रहने की व्यवस्था कराते हुए, पढ़ाई की सारी जिम्मेदारी शिक्षा अधिकारी को सौंपी. साथ ही रेड क्रॉस के माध्यम से प्रतिमाह 5000 रुपये की आर्थिक मदद देने की व्यवस्था की.
अब पूरा हो जाएगा सपना
बच्चो को सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से अन्य तरह की मदद करवाने की बात भी कलेक्टर ने कही. इसके बाद कोमल और अंश दोनों खुश हैं. वहीं कोमल ने बताया कि अब वह अधिकारी बनने के सपने को पूरा कर सकती है.
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FIRST PUBLISHED : May 28, 2023, 22:21 IST